Sunday, December 29, 2013

आग से रिश्ता ...

सिर्फ ख़्वाबों-औ-ख्यालों की बातें न कर 
हम हकीकत में भी,…… तेरे दीवाने हैं ?
… 
अभी-अभी, तुम्हारे वादों ने, ख्यालों में सताया है हमें 
चलो अच्छा ही है … हकीकत में … महफूज हैं हम ?
… 
तेरी ख्वाहिश की खातिर, आग से रिश्ता बनाया है 
वर्ना, बर्फ के ……… आगोश में डूबे हुए थे हम ? 
रहम कर बे-रहम 
जनता सोई हुई है ?
… 
उफ़ ! तनिक,…तू इंतज़ार तो कर 
तुझे भी यकीं हो जाएगा हम पर ? 
… 

3 comments:

Misra Raahul said...

काफी उम्दा प्रस्तुति.....

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (05-01-2014) को "तकलीफ जिंदगी है...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1483" पर भी रहेगी...!!!

आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!

- मिश्रा राहुल

Amrita Tanmay said...

वाह।

Pallavi saxena said...

वाह बहुत बढ़िया...