एक चिट्ठी अरविन्द केजरीवाल के नाम
अरविन्द केजरीवाल जी,
जय हिन्द
कल आपकी अर्थात आम आदमी पार्टी की चुनाव सर्वे सम्बन्धी प्रेस कान्फ्रेंस पर अचानक नजर पडी, नजर पड़ते ही यह सोचकर थोड़ा भौंचक सा हुआ कि ये क्या हो रहा है अर्थात आप क्या कर रहे हैं ? मुझे इस प्रश्न का कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला इसलिए सीधा आपको चिट्ठी लिखकर पूछ रहा हूँ कि आप बताएं चुनाव सर्वे सम्बन्धी प्रेस कान्फ्रेंस का क्या औचित्य था, क्या नजरिया था, आप क्या सन्देश देना चाहते थे ? सीधे व स्पष्ट शब्दों में कहूं तो मुझे आपसे व आपके थिंक टेंक ( जिसमें योगेन्द्र यादव जी भी शामिल हैं ) से यह उम्मीद नहीं थी।
कहीं ऐसा तो नहीं आप भी कांग्रेस, भाजपा व अन्य दूसरी पार्टियों की तरह 'अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना' चाहते थे ? यदि ऐसा नहीं है तो फिर क्यों आप उनकी राह चल रहे हैं, कल की प्रेस कांफ्रेंस देखकर कुछ पल को मुझे लगा कि आपने भी बेख़ौफ़ उनकी राह पकड़ ली है ? क्योंकि वे तो आयेदिन 'अपने मुंह मियां मिट्ठू' बनने का प्रयास करते ही रहते हैं, यदि आज उनसे पूछा जाए तो वे अर्थात भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, इत्यादि पांच मिनट की प्रेस कांफ्रेंस में यह सिद्ध कर देंगे कि वे कितने अच्छे हैं, कितने सच्चे हैं, कितने सही हैं, फिर हकीकत भले चाहे कुछ और निकले !
मुद्दे की बात ये है, मुझे ऐसा लगता है कि आप राजनीति में राजनीति करने के मकसद से नहीं उतरे हैं वरन समाजसेवा के मकसद से उतरे हैं, कहीं मैं गलत तो नहीं हूँ ? यदि मैं गलत हूँ तो फिर कोई बात नहीं, कल आपने प्रेस कांफ्रेंस लेकर जो किया वो अच्छा किया ! और अगर मैं सही हूँ कि आप समाजसेवा व व्यवस्था परिवर्तन के इरादे से राजनीति में उतरे हैं तो कल आपका चुनाव सर्वे रूपी प्रेस कांफ्रेंस का कदम उचित नहीं है, वह कदम सीधे व स्पष्ट तौर पर 'अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने' की ओर इशारा कर रहा है, मुझे भविष्य में आपसे इस तरह की नकारात्मकता की उम्मीद नहीं है।
खैर, एक-दो छोटी-मोटी चूक हर किसी से संभव हैं, लेकिन जो लोग इस तरह की चूकों की पुनरावृति नहीं करते हैं वे निसंदेह अपनी मंजिल को पाते हैं, मुझे आशा और विश्वास दोनों है कि आप बहुत ही जल्द अपनी मंजिल पर होंगे, व्यवस्था परिवर्तन के जिस सपने को लेकर आप आगे बढ़ रहे हैं वह शीघ्र साकार हो, यही मेरी भी ईश्वर से प्रार्थना है। जिस प्रकार का जनसमर्थन दिल्ली की जनता आपको दे रही है उसके लिए दिल्ली की जनता निश्चिततौर पर बधाई की पात्र है, इस पत्र के ही माध्यम से मैं दिल्ली की जनता से अपील करता हूँ कि वे 'आप' को पूर्ण बहुमत प्रदान करें।
अंत में, मैं यह भी जरुर कहना चाहूंगा कि 'आम आदमी पार्टी' की निष्पक्षता व पारदर्शिता की आज जितनी भी तारीफ़ की जाय वह कम ही होगी, आपके एजेंडे :- 1- सशक्त जनलोकपाल / लोकायुक्त क़ानून की स्थापना, 2- राजनीति से दागी व आपराधिक छबि के लोगों को परे रखना, 3- निष्पक्षता व पारदर्शिता अर्थात राजनैतिक दलों को आरटीआई के दायरे में रखना, ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें देश का जनमानस साकार होते देखना चाहता है, आप सफल हों, मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।
धन्यवाद, जय हिन्द
एक आम आदमी
3 comments:
सभी राजनेताओं का लगभग एक ही रंग होता है | राजनीती में आकर उसी रंग में ढल जाना स्वभाविक है | अस्वभाविकता की उम्मीद करना बेकार है | सब एक जैसे ही हैं |
मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कुछ खास है हम सभी में - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बुजुर्गों नें कहा है कि पुत के पाँव पालने में दिखाई दे जाते हैं और इनके पाँव तो कभी के दिखाई दे चुके हैं बस कुछ लोगों के सामने सच आना बाकी है !
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