दुःख इस बात का है 'उदय'
कि -
अब भी
वो सुधरने को तैयार नहीं हैं,
और फिर भी
न जाने कितने
उन्हीं पे, उन्हीं लोगों पे
आस लगाए हैं
उन्हें ही, तक रहे हैं
जबकि -
सब जानते हैं
वे चोर-चोर मौसेरे भाई हैं ?
कि -
अब भी
वो सुधरने को तैयार नहीं हैं,
और फिर भी
न जाने कितने
उन्हीं पे, उन्हीं लोगों पे
आस लगाए हैं
उन्हें ही, तक रहे हैं
जबकि -
सब जानते हैं
वे चोर-चोर मौसेरे भाई हैं ?
3 comments:
सच है..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
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