छोटी-छोटी बातों पे भी
हमने देखा … अड़ते तुझको,
रोते तुझको, लड़ते तुझको, भिड़ते तुझको
हार गया, पर हार न मानी,
हो उद्दण्ड जीत की ठानी
ठानी तो बस ठानी-ठानी, हार न मानी,
क्यों बुनता, क्यों रचता है तू … यार जुलाहे
हर पल, … हर क्षण, … ऐसी कहानी … ?
हमने देखा … अड़ते तुझको,
रोते तुझको, लड़ते तुझको, भिड़ते तुझको
हार गया, पर हार न मानी,
हो उद्दण्ड जीत की ठानी
ठानी तो बस ठानी-ठानी, हार न मानी,
क्यों बुनता, क्यों रचता है तू … यार जुलाहे
हर पल, … हर क्षण, … ऐसी कहानी … ?
5 comments:
बहुत ही अच्छी लगी मुझे रचना........शुभकामनायें ।
सुबह सुबह मन प्रसन्न हुआ रचना पढ़कर !
julahe ka jiwan to aisa hi hota hai
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
सुन्दर..
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