01
तू अपनी खुबसूरती पे
इत्ता नाज न कर,
गर तू कहे
तो कुछ कहूँ मैं,
वर्ना,
दिल दुखाना
हमें भी
अच्छा नहीं लगता ??
…
02
अभी तक तो
हम ढूँढ रहे थे भीड़ में खुद को
अब-जब
तुम कहते हो,
तो चलो
हम …
ढूंढ लेते हैं खुदी में खुद को ?
…
03
यदि राजनीति में
अच्छे-सच्चे लोग नहीं आयेंगे,
तो कोई बताएगा
व्यवस्था कैसे बदलेगी ?
व्यवस्था परिवर्तन के लिए
क्या हम, यूँ ही
दम भरते रहेंगे
चीखते-चिल्लाते रहेंगे ???
...
तू अपनी खुबसूरती पे
इत्ता नाज न कर,
गर तू कहे
तो कुछ कहूँ मैं,
वर्ना,
दिल दुखाना
हमें भी
अच्छा नहीं लगता ??
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02
अभी तक तो
हम ढूँढ रहे थे भीड़ में खुद को
अब-जब
तुम कहते हो,
तो चलो
हम …
ढूंढ लेते हैं खुदी में खुद को ?
…
03
यदि राजनीति में
अच्छे-सच्चे लोग नहीं आयेंगे,
तो कोई बताएगा
व्यवस्था कैसे बदलेगी ?
व्यवस्था परिवर्तन के लिए
क्या हम, यूँ ही
दम भरते रहेंगे
चीखते-चिल्लाते रहेंगे ???
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2 comments:
सत्य ही है, कहाँ लोगों को समझ आती है पर।
बहुत बढ़िया,
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