Friday, September 27, 2013

राईट टू रिजेक्ट अर्थात राजनैतिक तानाशाहियों पर अंकुश ?

राईट टू रिजेक्ट अर्थात राजनैतिक तानाशाहियों पर अंकुश !

मैं यह दावे के साथ तो नहीं कह सकता लेकिन न जाने क्यों मुझे यह यकीन सा महसूस हो रहा है कि यदि आज संसद सत्र चल रहा होता तो हमारे बहुत सारे सांसद सुप्रीम कोर्ट के राईट-टू-रिजेक्ट निर्णय के विरोध में संसद में तूफ़ान उठा देते तथा संसद को शांतिपूर्ण ढंग से चलने नहीं देते, दिन भर के लिए न सही पर कुछक घंटों के लिए संसद स्थगित जरुर करनी पड़ती, और इसके पीछे तूफ़ान उठाने वाले सांसदों का तर्क यह होता कि सुप्रीम कोर्ट कौन होती है क़ानून बनाने वाली, हमें डायरेक्शन देने वाली, हमारे अधिकारों का हनन करने वाली, हमारे अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने वाली ! 

खैर, संसद में उनका आक्रोश जायज भी होता क्योंकि यह उनका ही अधिकार है कि क़ानून कब बनाया जाए, कब संशोधित किया जाए, कब अपनी जरूरतों व लालसाओं के अनुकूल दिशा दी जाए, लेकिन इस बार उनका यह हठी स्वभाव ही मूल वजह बना है जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को जनभावनाओं के अनुकूल यह निर्णय लेना पडा, सुनाना पडा, वैसे भी राईट टू रिजेक्ट की मांग जनता एक अरसे से कर रही थी जिसे वे अर्थात हमारे प्रतिनिधि जानबूझकर अनसुनी करते आ रहे थे, आज सुप्रीम कोर्ट ने जनता के पक्ष में निष्पक्ष फैसला सुना कर एक एतिहासिक कदम उठाया है, निसंदेह इस एतिहासिक फैसले का पूर्णरूपेण स्वागत होगा, स्वागत होते रहेगा !  

राईट-टू-रिजेक्ट अर्थात 'नन ऑफ़ द अबव' अर्थात उपलब्ध प्रत्याशियों में से कोई नहीं अर्थात नापसंदी पर मुहर लगाने का अधिकार, साफ़ व स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो चुनाव मैदान में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से यदि सभी के सभी प्रत्याशी मतदाता को पसंद नहीं हैं तो उन्हें नापसंद कर सकते हैं, राईट-टू-रिजेक्ट का अभिप्राय मतदाता को नापसंदी का अधिकार प्राप्त हो जाना है, लेकिन यह अधिकार कितना लाभकारी होगा इस विषय पर चर्चा अवश्य की जानी चाहिए, होनी चाहिए, जहां तक मेरा मानना है कि राईट-टू-रिजेक्ट लागू होने से देश में कोई राजनैतिक क्रान्ति नहीं आने वाली है, लेकिन हाँ, इससे राजनैतिक दलों की तानाशाहियों व तानाशाही प्रवृत्ति के प्रत्याशियों पर अंकुश जरुर लगेगा !!

2 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

उदय जी ,सिर्फ यही नहीं पार्टिया उम्मीदवार के चयन के दागियों टिकेट देने में सतर्क हो जायेंगे .व्यवस्था में कुछ तो सुधर आयगा
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प्रवीण पाण्डेय said...

वर्तमान व्यवस्था के प्रति अस्वीकार्यता का भाव अब व्यक्त हो सकेगा।