जी चाहता है
ठोक दूँ … दो-चार को …
पर सोचता हूँ
दो-चार को ठोकने से क्या होगा ?
क्योंकि -
जिन्हें ठोकना चाहता हूँ
उनके जैसे
दो-चार नहीं, हजारों हैं ??
गर सबको नहीं ठोका तो
मन नहीं भरेगा
आत्मा शांत नहीं होगी
आतृप्त भटकता रहूँगा ???
1 comment:
सबको अपनी शान्ति सुहाये
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