उनकी वाल पे, बहुत भीड़ है आज
गर जी करे भी तो कैसे करे ????
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वे मीठा-मीठा बोलेंगे और तुम्हें ललचायेंगे
देखना इक दिन वे ही आपस में लड़वायेंगे ?
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गर नाज है 'उदय', उन्हें अपने ताज होने पर
तो, हमें भी गुमान है उन्हें देखते रहने पर ?
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किसने कहा है मिल कर ही मिला करो
कभी न मिलकर भी मिल लिया करो ?
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कभी कभी गुजर जाते हैं 'उदय', ऐंसे भी फ़साने दिल के
जिनकी चर्चा भी नहीं होती, जो गुमसुम भी नहीं होते ?
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2 comments:
सही है..
सुन्दर मुक्तक क्षणिकाएं !
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