Monday, June 10, 2013

समय की मार ...


उनकी ढेरों कवितायें अब भी आधी-अधूरी हैं
लेकिन वो,................कवि पूरे हो गए हैं ?
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आज भी हम पागल हैं कल की तरह
गर, तुम चाहो तो आजमा लो हमें ?
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वैसे, आग लगाना तो हमें भी आता है 'उदय'
बस, हम चाहते नहीं कि- जल जाये ये जहाँ ?
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सच ! हुआ वही जो न होना था
अब वो भी, हमारी राह पर हैं ?
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समय की मार क्या है, ये कोई हमसे न पूछे 'उदय'
सच ! धोखा भी हजम हो गया है आज ????????

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