Wednesday, June 12, 2013

हार-जीत ...


अब कोई और न पूछे हमारी दीवानगी की इन्तेहा 
बस, मौत आ जाये.........उनकी मौत से पहले ?
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बहुत मुश्किल डगर है ...... जिन्दगी
तुम्हें भी हारना है, मुझे भी हारना है ?
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कहीं नमक कम, तो कहीं दाल कम है
उफ़ ! चहूँ ओर कुछ ऐंसे ही नज़ारे हैं ?
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सच ! हार-जीत तो खेल के हिस्से हैं 'उदय'
इस्तीफे से, संन्यास कहीं बेहतर होता ??
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उफ़ ! आज कुत्ते भी घी हजम करने का दम भर रहे हैं 'उदय'
जबकि, कौन नहीं जानता पनीर भी हजम नहीं होता है उन्हें ?
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