लो, मुहब्बत हुई भी तो उनसे हुई
जिन्ने, पहले से ही अपनी सुपाड़ी ले रखी थी ?
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जो बेसहारों के सहारे होने का दम भर रहे हैं 'उदय'
वो तो खुद ही, किसी न किसी के......सहारे पे हैं ?
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आओ, चलें.........कुछ जज्बात बेच दें हम भी
वैसे भी, हमें कौन-सा मुरब्बा बनाना है उनका ?
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न्याय की कहाँ दरकार थी उन्हें
वे तो, मुआवजे के लिए हाय-तौबा मचा रहे थे 'उदय' ?
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2 comments:
khoob...
कोई तो हुआ
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