Sunday, December 2, 2012

बेरुखी ...


समय समय की बात है 'उदय', दुम हिलाने की कला में 
इंसा, ............... कुत्तों से भी दो कदम आगे है आज ?
...
पटका-न-पटकी .............................. बस 
चहूँ ओर ... सरकारी धन की... गटका-गटकी ?
... 
उनसे बेरुखी की वजह, खता या कुसूर नहीं है 'उदय' 
बस, उन्हें जब देखते हैं, जी मचल उठता है अपना ? 
... 
लो, वो मरते-मरते भी ... अपने मुल्क का नाम रौशन कर गया 
और एक अपने मुल्क में, जीते-जागतों ने बदनामी की ठानी है ? 
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गर, अब भी उन्ने, विवादास्पद चेहरों से मुंह नहीं मोड़ा 
तो तय है 'उदय', उनकी ............... भयाभय दुर्गती ?

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