सौदागिरी का हुनर, हम सीख के भी क्या लेते 'उदय'
क्योंकि - ईमान का सौदा हमसे मुमकिन नहीं होता ?
...
कहीं मातम, तो कहीं जश्न के मंजर हैं
उफ़ ! मौत उसकी, करिश्माई निकली ?
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खौफ का साये में, वे सलाम को तो मजबूर थे 'उदय'
किन्तु सलामती दुआ के लिये,.. उनके हाँथ न उठे ?
2 comments:
कहीं मातम, तो कहीं जश्न के मंजर हैं
उफ़ ! मौत उसकी, करिश्माई निकली ?
Bahut accha..uday ji
सौदागिरी का हुनर,हम सीख के भी क्या लेते उदय'
क्योंकि-ईमान का सौदा हमसे मुमकिन नहीं होता?
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