हम जानते हैं, वे हमसे, कभी बेवजह खफा नहीं होते
अब 'खुदा' ही जानता है, .... क्या खता हुई है हमसे ?
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वैसे तो 'उदय', हरेक दामन, दागदार है आज
कितना अच्छा होता, उनमें, एक वो न होते ?
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कल, भीड़ में भी .... तुम हमें तन्हा दिखे
अब बोल भी दो, है क्या वजह तन्हाई की ?
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गर आज उसने, जिस्म का सौदा न किया होता
तो शायद, बच्चे उसके ... भूखे ही सो गए होते ?
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लो, ये भी खूब रही, न चाल बदली, न चरित्र बदले
बस, ...................... चेहरे बदल लिये हैं उन्ने ?
1 comment:
बहुत बढिया ..
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