जैसे पहले डूबी थी, वैसे ही इस बार भी डूबेगी लुटिया उनकी
फिर भले चाहे ...... वो कड़क हों, ......... या मुलायम हों ?
फिर भले चाहे ...... वो कड़क हों, ......... या मुलायम हों ?
...
उन्हें तो गुमान है 'उदय', सिर्फ ...... अपनी चतुराई पे
और एक हम हैं, जो उनकी लेखनी में हुनर ढूंढ रहे हैं ?
...
उन्होंने तय कर लिया है, कि हमें लिखना नहीं आता
जब नहीं आता, तो क्या कहें, समझ लो नहीं आता ?
...
तमाम हो-हल्लों और घोटालों के बाद भी धूम है उनकी
ये लोकतंत्र है, ..................... या भृष्टतंत्र है 'उदय' ?
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लो, ढोंग से भरा चेहरा उसका, क्या खूब चम-चमाया है
क़त्ल का इल्जाम, जो उसने, किसी और पे लगाया है ?
क़त्ल का इल्जाम, जो उसने, किसी और पे लगाया है ?
2 comments:
बहुत ही उम्दा रचना |
मेरी नई पोस्ट:-
करुण पुकार
उन्हें तो गुमान है 'उदय', सिर्फ ...... अपनी चतुराई पे
और एक हम हैं, जो उनकी लेखनी में हुनर ढूंढ रहे हैं ?
...
उन्होंने तय कर लिया है, कि हमें लिखना नहीं आता
जब नहीं आता, तो क्या कहें, समझ लो नहीं आता ?
वाह क्या कटाक्ष है ।
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