दिल पे, ... कुछ इस कदर असर हुआ है उनकी खामोशी का
कि न तो कुछ सुन रहा है मेरी, और न ही सुना रहा है कुछ ?
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उफ़ ! क्या खूब बदला है, खुद को किसी ने
अपने हो के भी, अब वो अपने नहीं लगते ?
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चलो माना 'उदय', कि उनके आरोप अनर्गल हैं
फिर जांच से ... सत्ताधीशों को परहेज क्यूँ है ?
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उन्हें, हम याद आएंगे ..................... मगर दिल टूटने के बाद
अभी तो, दिल उनका, रकीबों के झूठे दिलासों से गुब्बारा हुआ है ?
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जनआक्रोश से, उनकी, कोई साहूकारी नहीं है
उन्हें तो, समर्थन की आड़ में, रोटी सेंकना है ?
1 comment:
परहेज़ कभी न कभी तो करना होगा, अभी नहीं तो, बाद में ।
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