सुनो, कुचल दो उसकी जुबान ...
और, दफ़्न कर दो ...
उसको -
और उसकी आवाज को
कहीं भी ...
जहां से ...
गर उसकी रूह भी चिल्लाना चाहे
तो चिल्लाते रहे ...
पर,
उसकी आवाज, यहाँ तक ...
हम तक ...
न पहुँच सके !
उसे सबक मिलना ही चाहिए
हमारे सामने ...
चीखने ...
चिल्लाने ...
और, बगावत करने का !!
आखिर .... हम .... सरकार हैं !!!
1 comment:
गहरी..
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