Friday, October 12, 2012

सबक ...


सुनो, कुचल दो उसकी जुबान ... 
और, दफ़्न कर दो ... 
उसको -
और उसकी आवाज को 
कहीं भी ... 
जहां से ... 

गर उसकी रूह भी चिल्लाना चाहे 
तो चिल्लाते रहे ... 
पर, 
उसकी आवाज, यहाँ तक ... 
हम तक ... 
न पहुँच सके !

उसे सबक मिलना ही चाहिए 
हमारे सामने ... 
चीखने ... 
चिल्लाने ... 
और, बगावत करने का !!
आखिर .... हम .... सरकार हैं !!!