चहूँ ओर ... दुख ...
और सिर पे, चिंता के बादल
घिर आए हैं
बच्चों की नादानी से
मम्मी-पापा ...
दोनों ... घवराये हैं !
अब करें, तो क्या करें वे
यही विचार ...
विचार रहे हैं ... दोनों
कहीं नादानी - नादानी में
सत्ता ...
निकल न जाए हांथों से !!
1 comment:
बहुत खूब...आज के परिप्रेक्ष्य में उम्दा रचना |
इंग्लिस-विन्ग्लिश मूवी का एक पक्ष आपकी रचना से मिलती जुलती है |
सादर |
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