दरोगा साहब आप भी कमाल करते हैं
इज्जत का लुटेरा घूम रहा है
खुल्लम-खुल्ला ... सांड की तरह
और आप हैं कि -
जिसकी लुटी है इज्जत, उसी से -
बार बार, नए नए सवाल कर रहे हैं ?
उठो, जाओ, पकड़ो
उसे पकड़ के पेंण दो थाणे में !
करो, सुताई उसकी इतणी
कि -
उसकी आत्मा कांप-कांप उटठे !!
सात जन्मों तक
गर उसे ... कुछ दिक्खे -
तो हर मोड़ी में, मताई ही दिक्खे !!!
2 comments:
bahut baDhiyaa!!
बहुत ही गहरा..
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