Monday, August 6, 2012

दरोगा साहब ...


दरोगा साहब आप भी कमाल करते हैं 
इज्जत का लुटेरा घूम रहा है 
खुल्लम-खुल्ला ... सांड की तरह 
और आप हैं कि - 
जिसकी लुटी है इज्जत, उसी से -
बार बार, नए नए सवाल कर रहे हैं ? 
उठो, जाओ, पकड़ो 
उसे पकड़ के पेंण दो थाणे में !
करो, सुताई उसकी इतणी 
कि - 
उसकी आत्मा कांप-कांप उटठे !!
सात जन्मों तक 
गर उसे ... कुछ दिक्खे -
तो हर मोड़ी में, मताई ही दिक्खे !!!