उम्मीदों के जो च़राग, तुमने जलाए हैं 'उदय'
अब हमें भी उनमें रौशनी नजर आने लगी है !
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लो, कल फिर उन्ने झूठ का झंडा फहराया है
और वहीं-कहीं पे, सच को उन्ने दफनाया है ?
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देखने को तो हमने मुर्दों में भी छट-पटाहट देखी है 'उदय'
फिर ये तो, .............. देश की भोली-भाली जनता है ??
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गर तुम्हें टूटने से बचना है तो अकड़ना छोड़ दो यारो
इस बार हमने, वतन पे मर-मिटने की सौगंध ली है ?
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बड़े अजीबो-गरीब मंजर हैं मुल्क में 'उदय'
देशभक्तों को, देशद्रोही कह रहे हैं लोग ??
2 comments:
अजब कहानी है ये दुनिया..
बहुत बढिया...बधाई स्वीकारें।
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