वक्त के तूफां 'उदय', इस जहाज को भी डुबो देंगे
गर वक्त रहते, ... पीठ के पिट्ठू फेंके नहीं जाते ?
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अपनी मर्जी का, कहाँ हिसाब-किताब है 'उदय'
अब तो, उनकी मर्जी में ही है अपनी मर्जी ??
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काश ! समय रहते, उन्ने पौंछ ली होती धूल चश्मे की
तो आज, वो देशभक्तों को देशद्रोही नहीं कहते ?
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