Monday, July 30, 2012

एलर्जी ...

अनशन, आंदोलन, धरने-प्रदर्शन से, ये न मानेंगे 'उदय' 
इन्हें तो, ...... चुनावी दंगल में ही धूल चटाना होगा ? 
... 
शायद, संपादकों को खुली हवाओं से एलर्जी है 'उदय' 
तभी वे ................... चेम्बरों से बाहर नहीं आते ? 
... 
कौमें क्यूँ बर्बाद कर रहे हो मियाँ, धर्म की आड़ में 
जो जहाँ है, ............ उसे वहीं खुशहाल रहने दो ?
... 
कुछ तो शर्म करो, ............ खबरों के झुनझुनो 
क्या तुमसे भृष्टाचार विरोधी धुन बजती नहीं है ? 

2 comments:

P.N. Subramanian said...

धुन कहाँ से बजेगी, उन्हें भी तो घुन लग गया है.

Suresh kumar said...

Mauka aane pr inko jarur maza chakhana chahiye ...