अनशन, आंदोलन, धरने-प्रदर्शन से, ये न मानेंगे 'उदय'
इन्हें तो, ...... चुनावी दंगल में ही धूल चटाना होगा ?
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शायद, संपादकों को खुली हवाओं से एलर्जी है 'उदय'
तभी वे ................... चेम्बरों से बाहर नहीं आते ?
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कौमें क्यूँ बर्बाद कर रहे हो मियाँ, धर्म की आड़ में
जो जहाँ है, ............ उसे वहीं खुशहाल रहने दो ?
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कुछ तो शर्म करो, ............ खबरों के झुनझुनो
क्या तुमसे भृष्टाचार विरोधी धुन बजती नहीं है ?
2 comments:
धुन कहाँ से बजेगी, उन्हें भी तो घुन लग गया है.
Mauka aane pr inko jarur maza chakhana chahiye ...
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