कुछ लोग खुश हैं, नाच-गा रहे हैं
जीत के भ्रम में हैं ... जश्न मना रहे है !
'उदय' ये कैंसे लोग हैं, जो -
बूढ़े पे हंस रहे हैं ?
यह कहकर, यह सोचकर
कि -
मर गया ... आंदोलन !
नहीं ... मरा नहीं है ...
आंदोलन ...
कभी ... मर भी नहीं सकता ...
जब तक भृष्टाचार है, भ्रष्टाचारी हैं ??
2 comments:
लोगों में भविष्य के प्रति आश्वस्ता देख आश्चर्य है..
bahut sahi kaha aapne ....bhrshatachai ke hote bhrshtachar kaise mar sakta hai
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