Wednesday, June 13, 2012

फ़रियाद ...


अभयदान ...
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हे भगवन ... प्रभु ... 
दयालु ... 
कृपालु ... 
पालनहारी ... 
तुम कहाँ हो ? 
क्या कहीं छिप गए हो ? 
या फिर - 
बैठकर चुपचाप देख रहे हो ? 
भ्रष्टाचारियों ... 
अत्याचारियों ... 
और दलालों को ... 
अभयदान देकर ???
...
फ़रियाद ...
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चंहू ओर ... शहर में ... 
हैं हुजूम लुटेरों के !
अब क्या करें 
हम -
लुट तो गए हैं 'उदय' !!
कहो - 
अब यहां ... 
हम -
किस से फ़रियाद करें ? 

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

कभी उन्हें भी क्रोध आयेगा ही..