अभयदान ...
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हे भगवन ... प्रभु ...
दयालु ...
कृपालु ...
पालनहारी ...
तुम कहाँ हो ?
क्या कहीं छिप गए हो ?
या फिर -
बैठकर चुपचाप देख रहे हो ?
भ्रष्टाचारियों ...
अत्याचारियों ...
और दलालों को ...
अभयदान देकर ???
...
फ़रियाद ...
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चंहू ओर ... शहर में ...
हैं हुजूम लुटेरों के !
अब क्या करें
हम -
लुट तो गए हैं 'उदय' !!
कहो -
अब यहां ...
हम -
किस से फ़रियाद करें ?
1 comment:
कभी उन्हें भी क्रोध आयेगा ही..
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