न जाने कौन था जिसका जनाज़ा सामने था
मैं खुद को रोक नहीं पाया, कांधा लगाने से !
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यकीन कर, इत्मिनान रख, ठहर जा
नहीं मुमकिन जमाने में, मुझसे बेहतर कोई मिलना ?
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चलो माना, कि - सरकारी अनाज चूहे खा रहे हैं 'उदय'
फिर गरीबों के पेट के चूहे, भूखे क्यूँ हैं ?
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