Sunday, April 29, 2012

आधुनिक लेखक ...


पहले लिखो, जी तोड़ मेहनत करो 
फिर 
किसी प्रकाशक से संपर्क साध कर 
उसे छपवाओ ... किताब की शक्ल में 
वो भी अपनी कीमत पर 
संतोष ... !
फिर, कुछ दिन बाद उसे 
मुफ्त में, अपने -
मित्रों 
सगे-संबंधियों 
लेखकों 
आलोचकों 
समीक्षकों 
पत्रकारों 
संपादकों ... इत्यादि को 
स्वयं के डाक खर्च पर ... बाँट दो 
यह एक बेहद सहज व सरल तरीका है 
आधुनिक लेखक ... 
बनने व कहलवाने का !!
इसी दौरान 
यदि आप जुगाड़ बैठने-बिठाने में सफल रहे 
तो आपका 
पुरूस्कार, मान, सम्मान ... 
भी लगभग तय है ... जय हो !!!

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

विख्यात होने में बहुत श्रम लगता है, धन भी।

अरुण चन्द्र रॉय said...

badhiya kavita..

Arvind Jangid said...

बहुत सही कहा आपने !