Saturday, February 11, 2012

... इल्जाम फूलों पे मढ़ दिए गए हैं !

मुर्दे भी वक्त-बेवक्त काम आ ही जाते हैं
फिर हम तो अभी ज़िंदा हैं !!
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'उदय' तेरी नजर को, नजर से बचाए
जब भी उठे नजर, तो मेरी नजर से आ मिले !
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लो, इस बार फिर तंग कपडे कसूरवार ठहराए गए हैं
खता भंवरों की थी, इल्जाम फूलों पे मढ़ दिए गए हैं !
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कफ़न खरीदता देख मुझे, बहुत खुश हो रहा था वो
सच ! रकीब होता, तो शायद कुछ और बात होती !!

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