हे ईश्वर
मेरा क्या गुनाह है, जो आज -
मैं भूखा हूँ !
हूँ तो हूँ, पर क्यूँ हूँ ?
मजदूर हूँ
रोज कमाता हूँ, रोज खाता हूँ !
कल सुबह से
सारा शहर बंद है -
दंगाइयों की वजह से !
कर्फ्यू की वजह से !!
सच ! इस जनम में, मैंने तो -
कोई गुनाह नहीं किये हैं
फिर मैं क्यों भूखा हूँ -
कल रात से ?
कहीं तेरी नजर में भी -
गरीब होना तो गुनाह नहीं है ?
5 comments:
bahut baDhiyaa!!
कहीं तेरी नजर में भी -
गरीब होना तो गुनाह नहीं है ?
Shayad hamara 'hona'hee gunah hai!
सच में कोई गुनाह नहीं है..
गंभीर सार्थक चिंतन...
behtreen aur gahan abhivaykti.........
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