Monday, January 30, 2012

... खुद नहीं शर्मिन्दा है !

रूठ कर तुमने अच्छा न किया
सच ! मैं बुरा था, तो कह देते !!
...
दिल तो कहता है, कि मैं तेरा हो जाऊं
सच ! अब मन की, कैसे मैं न कह दूं !!
...
'खुदा' होना था, तो हो जाते, किसने रोका था ?
कम से कम, दोस्ती का हुनर तो ज़िंदा रखते !!
...
सच ! लोग हैं कि दुश्मनों से आस लगाए बैठे हैं
जी तो करता है, कि हम भी दुश्मन हो जाएं !!!
...
झूठी शान में भी वो शान से ज़िंदा हैं
किसी को क्या, जब वो खुद नहीं शर्मिन्दा है !

2 comments:

arvind said...

झूठी शान में भी वो शान से ज़िंदा हैं
किसी को क्या, जब वो खुद नहीं शर्मिन्दा है ! ....bahut badhiya...

प्रवीण पाण्डेय said...

मन को कहीं पर कुछ न कुछ ही, सालता तो हो..