Monday, January 23, 2012

चैन ...

ताउम्र बेचैन रहे
दौलत के लिए, दौलतें समेटते रहे
दौलत का ढेर -
लगाते रहे - लगाते रहे !
जैसे ही सोचा -
चैन से जीवन जिया जाए
दौलती लाड-प्यार में बिगड़े
बच्चों की बेवफाई ने
उनका, चैन से जीना -
हराम कर दिया !
और तो और, अब वे उन्हें
चैन से मरने भी नहीं देंगे !!

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

धन में मन, तन, जन, सब जाये।

सूत्रधार said...

आपके इस उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

***Punam*** said...

सही कहा आपने...

ऐसा ही होता है कई बार...