ताउम्र बेचैन रहे
दौलत के लिए, दौलतें समेटते रहे
दौलत का ढेर -
लगाते रहे - लगाते रहे !
जैसे ही सोचा -
चैन से जीवन जिया जाए
दौलती लाड-प्यार में बिगड़े
बच्चों की बेवफाई ने
उनका, चैन से जीना -
हराम कर दिया !
और तो और, अब वे उन्हें
चैन से मरने भी नहीं देंगे !!
3 comments:
धन में मन, तन, जन, सब जाये।
आपके इस उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
सही कहा आपने...
ऐसा ही होता है कई बार...
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