Tuesday, January 24, 2012

वे ऐंसे क्यूँ हैं ?

सुनते हैं,
उनकी कोई आल-औलाद नहीं है
फिर भी
वे किसी को -
प्रेम भरी नजर से नहीं देखते !
सुनते हैं
उन्होंने दौलत भी खूब जमा कर रक्खी है
फिर भी
वे किसी भिखारी को -
अन्न का एक दाना तक नहीं देते !
वे जब भी मुझे नजर आते हैं
मेरे मन में
सवाल कौंधने लगते हैं
कि -
वे ऐंसा क्यूँ करते हैं ? वे ऐंसे क्यूँ हैं ??

4 comments:

***Punam*** said...

एक कहानी सुनी है न...

राजा जिसने ईश्वर से मांगा था कि
जिसे छुए वो सोना हो जाए...
ये शायद उसी श्रेणी में आते हैं...

***Punam*** said...
This comment has been removed by the author.
प्रवीण पाण्डेय said...

तरह तरह के लोग बसते हैं..

सूत्रधार said...

आपके इस उत्‍कृष्‍ठ लेखन का आभार ...

।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।