सच ! समय की पटरी पे, रोज-रोज दौड़ती जिंदगानी है
कभी बैलगाड़ी, कभी घोडागाडी, तो कभी रेलगाड़ी है !!
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सच ! कहाँ खबर थी मुझे, कि - तुम चाहती हो !!
कहो, क्या तुमने कभी मुझसे कहा था ?
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न हमने उनसे कुछ कहा, न ही उन्ने हमसे कुछ कहा
यूँ ही खामोशियों में सवेरा हो गया !
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सारे जिन्दे तो फरेबी निकल गए हैं 'उदय'
एक अदद उम्मीद पत्थरों से है !
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तुम बेवजह हिन्दू-औ-मुसलमानी जज्बात में उलझे हो
सच ! उन्हें वोट से मतलब है, उन्हें जीत से मतलब है !
1 comment:
जब निर्णय का क्षण आयेगा,
गीत जीत के रीत रहेंगे।
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