सुनते हैं,
उनकी कोई आल-औलाद नहीं है
फिर भी
वे किसी को -
प्रेम भरी नजर से नहीं देखते !
सुनते हैं
उन्होंने दौलत भी खूब जमा कर रक्खी है
फिर भी
वे किसी भिखारी को -
अन्न का एक दाना तक नहीं देते !
वे जब भी मुझे नजर आते हैं
मेरे मन में
सवाल कौंधने लगते हैं
कि -
वे ऐंसा क्यूँ करते हैं ? वे ऐंसे क्यूँ हैं ??
4 comments:
एक कहानी सुनी है न...
राजा जिसने ईश्वर से मांगा था कि
जिसे छुए वो सोना हो जाए...
ये शायद उसी श्रेणी में आते हैं...
तरह तरह के लोग बसते हैं..
आपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
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