Tuesday, January 31, 2012

मंशा ...

ताउम्र, जो दौलतें समेटते रहे थे 'उदय'
मौत के वक्त, उनके भी हाँथ खाली थे !

फिर भी न जाने क्यूँ, होड़ मची है आज
कोई तो समझाए, उसकी मंशा क्या है ?

3 comments:

vidya said...

वे खुद नहीं जानते..तो कोई क्या बताएगा..

सार्थक पंक्तियाँ.

सादर.

***Punam*** said...

jab Sikandar Mahan khaali haath gaya fir kaun kya le jaayega....
rote rote aaya hai...hanste hanste jaayega...

प्रवीण पाण्डेय said...

होड़ सभी को ले डूबेगी,
जब निर्णय का दिन आयेगा..