आज उसने कुछ इस सलीके से हाँ कहा है
लग रहा है जैसे, उसने कुछ कहा नहीं है !
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तुम मुझको, और मैं तुमको भज लूं
ज़माना खराब है, पहले जेबें भर लूं !
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गर, मौकापरस्ती से हमें परहेज न होता
तो भले होता वो आसमां में, पर हमारे हाँथ में होता !
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खुशनसीबी उनकी, जो हम पतंगबाजी करते नहीं हैं
वर्ना, सिर्फ उड़ाते ही नहीं, काटते भी किसी को !
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सुना है, सब्र का फल मीठा हुआ है
'सांई' ही जाने, कब चखने मिलेगा !
1 comment:
बहुत खूब..
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