Friday, January 6, 2012

... बेटियों का भी हक़ है हम पर !

खुशी के ये पल, बहुत दूर तक खुशनुमा रहें
तुम रहो, हम रहें, और संग ये खुशियाँ रहें !
...
कब से कह रहे हैं 'सांई' से, पर वो अनसुनी में है
ज्यादा समय तक मुश्किलें, अच्छी नहीं होतीं !!
...
टूट के बिखर जाने का भय तो जरुर है जेहन में
लेकिन तेरे मिलन की एक उम्मीद भी तो है !!!
...
कदम डगमगाए भी हैं, और हम ठहरे भी हुए हैं
ये संतुलन ही तो है जो अब तक रस्सी पे खड़े हैं !
...
लो समय के सांथ हम भी बदल गए हैं 'उदय'
सिर्फ बेटे नहीं, बेटियों का भी हक़ है हम पर !

2 comments:

Patali-The-Village said...

लो समय के सांथ हम भी बदल गए हैं 'उदय'
सिर्फ बेटे नहीं, बेटियों का भी हक़ है हम पर !
बहुत सुन्दर...

प्रवीण पाण्डेय said...

सबका हक..