Thursday, January 5, 2012

बद-दुआएं ...

कल रात, उन्होंने
सारी रात जाग कर दुआएं की हैं
उन दुआओं में
सिर्फ
एक पुरानी रंजिश पर
हमें, ढेर सारी बद-दुआएं दी हैं
फिर भी
दुआओं का असर, बेअसर ही रहा
सच
उनकी दुआओं -
और बद-दुआओं के असर से
सुबह
न तो हम पत्थर हुए
और
न ही वो मोम हो पाए !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

मन को स्वस्थ रखे उनका श्रम..