Monday, January 2, 2012

नया साल ...

ठीक है, तू आ तो गया है, अपनी मर्जी से
पर, अब तुझे जाना होगा, मेरी मर्जी से !
नया साल है तो क्या हुआ ?
बना रहे !!
पर, अब मैं जैसा चाहूंगा, वैसा करूंगा
सिर्फ एक-दो रंग नहीं
सारे, सातों के सातों रंग भरूँगा
आज, अभी, कल, परसों, नरसों, रोज
हर रोज भरूँगा, भरते रहूंगा, रंग -
लाल, पीले, हरे, नीले, गुलाबी, सफ़ेद
सुबह, शाम, दिन, रात, हर पहर !
देखना, जाते जाते, सतरंगी कर दूंगा -
नए साल को, बिलकुल वैसे -
जैसे - सतरगीं, इन्द्रधनुषी हैं ख़्वाब मेरे !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

करना हमको अपने मन की।