"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
धूप छाँव है लेखन भी तो।
एक दम सही बात है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
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धूप छाँव है लेखन भी तो।
एक दम सही बात है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
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