Thursday, December 8, 2011

खुशहाली ...

रोज अच्छा लिखना
या ऐंसा लिखना
जो लोगों को पसंद आए
कठिन है !
ठीक वैसे ही, जैसे -
जीवन में
रोज-रोज खुशहाली हों !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

धूप छाँव है लेखन भी तो।

Pallavi saxena said...

एक दम सही बात है। http://mhare-anubhav.blogspot.com/समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है