Wednesday, December 7, 2011

मूकबधिर ...

तुम
कल भी मूकबधिर थे
आज भी हो
और कल भी रहोगे !

कल की तरह ही -
कल भी
मैं तुम्हें खरीद लूंगा
धन से -
या किसी हथकंडे से !

और मैं
फिर से जीत जाऊंगा
चुनाव
राजनीति
सत्ता, और लोकतंत्र !!

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सत्य बड़ा सपाट होता है।

Pallavi saxena said...

sahi hai paise ki dam par kuch bhi kharida jaa sakta hai ...

सागर said...

sateek abhivaykti...