Sunday, December 11, 2011

प्रवचन ...

कर्म
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स्त्री
कविता
धर्म
दर्शन
इन्हें लिखना
इन्हें पढ़ना
इन्हें समझना
इन पे राय बनाना
कठिन काम है !
पढ़ते रहो, और आगे बढ़ते रहो !!
भले आज न सही, पर -
कल, परसों, नरसों, किसी न किसी दिन
निष्कर्ष पर जरुर पहुँच जाओगे !
और उस समय -
एक अच्छा व सधा हुआ -
प्रवचन देना संभव होगा
पर आज नहीं !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सब पर ही लम्बा प्रवचन दिया जा सकता है।

Pallavi saxena said...

bilkul parveen ji ki baat sahi hai ...