सच ! दौलत सहेजने के लिए, न सही
पर जीने के लिए, बेहद जरुरी है !!
...
गुरुर का टूटना जरुरी था
वर्ना जिंदगी का सफ़र, आसां नहीं होता !
...
झूठी शान की छतें, न सही
बादलों की आड़ में भी सो लेते हैं !
...
कब्र में भी चैन नहीं है
'खुदा' जाने, लोग शहर में कैसे जीते हैं ?
...
पड़े रहने दो आँगन में, किसी का क्या बिगाड़ेंगे
पत्थर हैं सही, लेकिन किसी दिन काम आएंगे !
4 comments:
गुरुर का टूटना जरुरी था
वर्ना जिंदगी का सफ़र, आसां नहीं होता !... न ज़िन्दगी की सही पहचान होती .
हर किसी का काम आना, हर किसी को भूल जाना,
प्रश्न के उत्तर मिले तो जिन्दगी हमको बताना।
bahut hi baddhiya....
you have rightly pointed out and one should know that he/she can't survive in this world. Please avoid copying. Have a great creativity ahead for all.
Post a Comment