जिसे लोग कहते हैं -
कविता !
किसी दिन, मैं भी सीख जाऊंगा
लिखना ... कविता !
फूल
पत्ते
नदियाँ
झरने
प्रेम
चुम्बन
आलिंगन
चिड़ियाँ
चूं - चूं
हवाएं
घटाएं
वादियाँ ...
सिर्फ इन्हें, या इन्हें एक सांथ
ऊपर-नीचे, दांए-बांए, रख-रुखा कर
ही तो कुछ -
लिखना-लिखाना है !
मुझे यकीं है
एक दिन, मैं भी सीख जाऊंगा
लिखना ... कविता !!
1 comment:
हम भी सीख रहे हैं।
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