Sunday, December 4, 2011

कविता ...

जिसे लोग कहते हैं -
कविता !
किसी दिन, मैं भी सीख जाऊंगा
लिखना ... कविता !
फूल
पत्ते
नदियाँ
झरने
प्रेम
चुम्बन
आलिंगन
चिड़ियाँ
चूं - चूं
हवाएं
घटाएं
वादियाँ ...
सिर्फ इन्हें, या इन्हें एक सांथ
ऊपर-नीचे, दांए-बांए, रख-रुखा कर
ही तो कुछ -
लिखना-लिखाना है !
मुझे यकीं है
एक दिन, मैं भी सीख जाऊंगा
लिखना ... कविता !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

हम भी सीख रहे हैं।