Friday, November 18, 2011

उलझन ...

कल एक फ्रेंड का फोन आया, बधाई दी नवरचित पुस्तक के लिए, फिर बोला श्याम भाई किसी पब्लिशर से बात करूँ प्रकाशन के लिए, मैंने कहा हाँ कर सकते हो, उसने कहा - खर्च आयेगा ... मैंने कहा - समझा नहीं ... बोला - छपने पर जो भी खर्च आयेगा वह देना पडेगा ... मैं कुछ देर शांत रहा फिर धीरे से बोला - यार कुछ दिन रुक जाओ, फिर बताता हूँ ... काफी देर सोचता-विचारता रहा कुछ समझ से परे लग रहा था फिर सोचा दिमाग में उलझन रखने से बेहतर है अन्य मित्रों से समझ व जान लिया जाए, सांथ ही सांथ सामान्य ज्ञान भी बढ़ जाएगा ...

... क्या पुस्तक प्रकाशन के लिए लेखक को छपने का खर्च वहन करना पड़ता है ?

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

बिल्कुल वहन मत कीजिये, ब्लॉग जिन्दाबाद।