Tuesday, November 29, 2011

... इसी में मस्त रहते हैं !!

कल एक शख्स 'खुदा' सा नजर आया था हमें
आज वह भी, उँगलियों के कटघरे में है खडा !
...
आज फिर से एक आस दिल में जगाई है हमने
जो तन्हाई में खोया था, भीड़ में मिल जाएगा !
...
क्यूँ आसमां से होड़, आज हुई है मेरी 'उदय'
जबकि देती रही सुकूं, अब तक मुझे जमीं !
...
'खुदा' जाने, ये मंजर, कब तलक यूँ चलते रहेंगे
न तो वो कुछ खुद कहेंगे, न हमें कुछ कहने देंगे !
...
कब तक वो रहेंगे चुप, कब तक हम रहेंगे चुप
क्यूँ न आज, ये किस्सा यहीं ख़त्म किया जाए !
...
तुम से मिलकर, हम होश खो बैठे हैं 'उदय'
सच ! अब न पूंछो, हमारा ठिकाना क्या है !
...
किसी की पसंद को, नापसंद कहने का हक़ हमें नहीं है 'उदय'
उफ़ ! फिर भी लोग हैं, जो इसी में मस्त रहते हैं !!
...
न जाने कौन है जो इस बस्ती में मुझसा फरेबी है
बात ही बात में, दो के चार करता है !
...
झंडा पकड़ के घूमना तासीर है जिनकी
वो कह रहे हैं हमको, चिंकोटते हैं हम !
...
गर वक्त ने चाहा तो, एक दिन हम तुम्हें भी रास आएंगे
आज न सही, किसी न किसी दिन, तुम्हारी दाद पाएंगे !

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मस्त रहें यूँ, स्वस्थ रहें।

सागर said...

बहुत ही खुबसूरत अभिवयक्ति.....