Friday, October 7, 2011

सत्य-अहिंसा की पाठशाला ...

महात्मा गांधी के पदचिन्हों पे चलकर
उन्हें आदर्श मानकर
उनके बताये मार्ग पे कदम बढ़ाकर
आज, विश्व की तीन महिलाएं -
एलेन जोहान्सन सरलीफ
लेमाह जीबोवी
तबाक्कुल करमान -
ने नोवल शान्ति पुरुष्कार जीतकर
पुरुष्कार का मान बढाया है !
कौन कहता, कौन मानता है, कि -
महात्मा गांधी ज़िंदा नहीं हैं !
ज़िंदा हैं -
एक विचारधारा बनकर
सत्य-अहिंसा का पाठ बनकर
अनशन, आन्दोलन की रूप-रेखा बनकर
दिलों-दिलों में
घरों-घरों में
गाँव-गाँव में
शहर-शहर में
देश-विदेश में
शान्ति, सौहार्द्र, अनशन, आन्दोलन -
और सत्य-अहिंसा की पाठशाला बनकर !!

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

व्यक्ति से अधिक बलवती है विचारधारा।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

पाण्डेय जी के विचारों से पूर्णत: सहमत! व्यक्ति की अच्छाई ही जिंदा रह जाती है।