Sunday, October 2, 2011

नई आजादी की ओर ...

उखाड़ो, उखाड़ फेंको
ऐंसी सत्ता, ऐंसे सत्ताधारियों को
जो खुद ही
दमन, शोषण, अत्याचार के
मसीहा हुए हैं !

कब तक
तुम इन्हें, यूं ही सहते रहोगे
कब तक
तुम इन्हें, यूं ही तकते रहोगे
कब तक
तुम, यूं ही खामोश बैठे रहोगे !

उठो, उठ बैठो
लड़ो, लड़ जाओ
उखाड़ो, उखाड़ फेंको
भ्रष्ट, घुटालेबाज, दुष्ट, अत्याचारी
व्यवस्था को, परम्परा को
मगर, कैंसे ... !

सत्य-अहिंसा के पथ पर
अनशन, आन्दोलन के रथ पर
गांधीवादी पदचिन्हों पर
तुम, हम, चलें, बढ़ें, बढ़ चलें
नई आजादी की ओर ... !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

वह सुबह कभी तो आयेगी।