Saturday, October 1, 2011

एक दिन 'गांधी' हम भी होंगे !!

सत्य-अहिंसा की राहें
सोचें, तब
मुश्किल लगती हैं
पर, जब
हम उन पर चलने लगते हैं
तब, वो
आसां होते चलती हैं !

सोचेंगे
कब तक सोचें हम
कब तक मन में
संशय रक्खें
जब तक, हम संशय रक्खेंगे
तब तक, राहें
हमें
कठिन, मुश्किल, लगेंगी !

कदम हमारे
जब बढ़ जाएं, फिर
हर मुश्किल आसां हो जाए
चलते-चलते, लड़ते-लड़ते
कदम हमारे बढ़ते जाएं
आज नहीं
तो कल हम होंगे
एक दिन 'गांधी' हम भी होंगे !!

2 comments:

Dr Varsha Singh said...

संवेदना से भरी रचना। बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!

प्रवीण पाण्डेय said...

उत्साह भरी रचना।